सिकंदर (2008) फ़िल्म समीक्षा | कहानी, अभिनय और पूरा विश्लेषण

सिकंदर (2008) - पूरी समीक्षा और विश्लेषण

सिकंदर (2008) - पूरी समीक्षा और विश्लेषण

हिंदी सिनेमा का छिपा हुआ रत्न
"कश्मीर की वादियों में बचपन और आतंकवाद की टक्कर की मार्मिक कहानी" - फिल्म की मुख्य थीम

कश्मीर की खूबसूरत वादियों में एक शांत बोर्डिंग स्कूल की कल्पना कीजिए। अब उस शांति पर आतंकवाद की काली छाया को महसूस कीजिए, जहाँ फुटबॉल का एक साधारण खेल जीवन-मरण का सवाल बन जाता है। यही है 'सिकंदर' की मर्मस्पर्शी और रोमांचक दुनिया।

त्वरित तथ्य

  • फिल्म: सिकंदर (2008)
  • निर्देशक: पियूष झा
  • मुख्य कलाकार: पार्जान दस्तूर, आयशा कपूर, संजय सूरी, अर्जन बजवा
  • अवधि: 112 मिनट
  • रीमेक: नहीं (मूल कहानी)

कहानी का सार

14 वर्षीय सिकंदर राणा (पार्जान दस्तूर) कश्मीर के एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ता है। अपने माता-पिता को आतंकवाद में खो चुका यह लड़का फुटबॉल में अपनी जिंदगी की एकमात्र खुशी ढूंढता है।

एक दिन स्कूल से लौटते समय उसे एक चमकदार नई फुटबॉल मिलती है, जो वास्तव में एक आतंकवादी द्वारा रखा गया बम है। यहीं से शुरू होती है उसकी जिंदगी की सबसे बड़ी जंग।

मुख्य विषय

  • मासूमियत का खोना: बचपन की मासूमियत का आतंकवाद से सामना
  • मानवीय संघर्ष: संघर्ष की वजह से आम लोगों को उठानी पड़ती कीमत
  • सही और गलत का चुनाव: एक बच्चे की अंतरात्मा की आवाज
  • उम्मीद और हिम्मत: मुश्किल हालात में भी न हारने की सीख

अभिनय और दिशा

"पार्जान दस्तूर का अभिनय बेहद संवेदनशील और विश्वसनीय है" - फिल्म समीक्षक

पार्जान दस्तूर ने सिकंदर के किरदार में जान डाल दी है। उनकी आँखों में बच्चे का डर, भ्रम और फिर हिम्मत साफ झलकता है।

अन्य उल्लेखनीय प्रदर्शन:

  • आयशा कपूर - नसरीन की भूमिका में चमकदार
  • अर्जन बजवा - जटिल खलनायक की भूमिका में शानदार
  • संजय सूरी - मेजर रणवीर सिंह के रूप में प्रभावशाली

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या सिकंदर फिल्म किसी की रीमेक है?

नहीं, सिकंदर एक बिल्कुल मूल फिल्म है जो निर्देशक पियूष झा की अपनी कहानी पर आधारित है। यह किसी अन्य फिल्म की रीमेक नहीं है।

फिल्म का संदेश क्या है?

फिल्म का मुख्य संदेश है कि संघर्ष और हिंसा की सबसे ज्यादा कीमत आम लोगों और बच्चों को चुकानी पड़ती है। साथ ही यह उम्मीद का संदेश भी देती है कि हर व्यक्ति के अंदर सही फैसला लेने की ताकत होती है।

क्या यह फिल्म परिवार के साथ देखने लायक है?

हाँ, यह फिल्म परिवार के साथ देखने लायक है, हालाँकि छोटे बच्चों के लिए कुछ दृश्य डरावने हो सकते हैं। किशोर और बड़े बच्चों के साथ यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए।

तकनीकी पहलू

सिनेमैटोग्राफी: कश्मीर की प्राकृतिक सुंदरता और वहाँ के तनाव को बेहतरीन तरीके से दर्शाया गया है।

संगीत: सन्दीप चौटा का संगीत फिल्म के मूड के अनुरूप है और भावनाओं को उभारता है।

संपादन: फिल्म की गति बनाए रखने में संपादन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

अंतिम राय

सिकंदर भारतीय सिनेमा का एक छिपा हुआ रत्न है जिसे अधिक लोगों ने नहीं देखा। यह फिल्म मनोरंजन के साथ-साथ एक गहरा सामाजिक संदेश भी देती है।

रेटिंग: 4/5 सितारे

किसे देखनी चाहिए?

  • सार्थक सिनेमा पसंद करने वाले दर्शक
  • सामाजिक और राजनीतिक विषयों में रुचि रखने वाले
  • थ्रिलर और ड्रामा शैली के शौकीन
  • ऐसी फिल्में देखने वाले जो दिमाग पर असर छोड़ें
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