समोसा एंड संस: क्या यह 'कॉमेडी का समोसा' है या सिर्फ 'आलू का भाव'?
परिचय
कल्पना कीजिए एक ऐसा परिवार, जहां हर मोड़ पर एक नया झगड़ा, हर झगड़े में एक नया मजाक और हर मजाक के बीच छिपा है पारिवारिक प्यार का एक गहरा सच। यही है "समोसा एंड संस" की दुनिया। डिज्नी+ हॉटस्टार पर रिलीज हुई यह फिल्म आपको एक ऐसे मध्यवर्गीय परिवार के साथ ले जाती है, जिसके हर सदस्य की अपनी अलग धुन है, लेकिन जब बात परिवार की इज्जत की आती है, तो सब एक हो जाते हैं।
निर्देशक समीर सक्सेना की यह फिल्म क्या वाकई में एक स्वादिष्ट पारिवारिक कॉमेडी है या फिर यह आपका समय बर्बाद करने वाली एक फीकी डिश साबित होगी? आइए, जानते हैं।
कहानी का सारांश (बिना स्पॉइलर के)
"समोसा एंड संस" की कहानी मध्य प्रदेश के एक छोटे से कस्बे की है, जहां त्रिलोकचंद "टी.सी." अग्रवाल (गजराज राव) अपने परिवार के साथ रहते हैं। उनका सबसे बड़ा सपना अपने बेटे आशीष (नमित दास) को एक सफल बिजनेसमैन बनाना है। आशीष दिल का अच्छा लड़का है, लेकिन उसकी रुचि बिजनेस से ज्यादा शायरी में है। परिवार में हैं टी.सी. की पत्नी (सुप्रिया पाठक), उनकी बेटी और दामाद।
कहानी तब एक नया मोड़ लेती है जब आशीष को एक लड़की, कीर्ति (शेफाली शाह) से प्यार हो जाता है। समस्या यह है कि कीर्ति का परिवार टी.सी. के परिवार से किसी बात को लेकर बहुत पुरानी दुश्मनी रखता है। यहीं से शुरू होता है एक ऐसा खेल जहां पारिवारिक ईगो, पुराने झगड़े, नए रिश्ते और कॉमेडी ऑफ एरर्स का एक अनोखा कॉकटेल तैयार होता है।
विश्लेषण: फिल्म के मजबूत और कमजोर पक्ष
अभिनय: फिल्म की रीढ़
त्रिलोकचंद अग्रवाल
कीर्ति
आशीष
टी.सी. की पत्नी
- गजराज राव (त्रिलोकचंद अग्रवाल): गजराज राव एक बार फिर साबित करते हैं कि वे ऐसे किरदारों के बादशाह हैं। टी.सी. का किरदार जहां एक तरफ जिद्दी और गुस्सैल पिता है, वहीं दूसरी तरफ अपने परिवार से बेतहाशा प्यार करने वाला एक संवेदनशील इंसान भी है। गजराज राव ने इस जटिलता को बखूबी निभाया है। उनके चेहरे के हाव-भाव और डायलॉग डिलीवरी शानदार है।
- शेफाली शाह (कीर्ति): शेफाली शाह को देखना हमेशा एक treat होता है। कीर्ति का किरदार एक आत्मनिर्भर, बुद्धिमान और थोड़ी सी चुलबुली लड़की का है। शेफाली ने इस किरदार में जान डाल दी है। वह हर दृश्य में अपनी मौजूदगी का अहसास कराती हैं।
- नमित दास (आशीष): नमित दास ने आशीष के किरदार को बहुत ही ईमानदारी से पेश किया है। एक ऐसा लड़का जो पिता की उम्मीदों के बोझ तले दबा हुआ है, लेकिन अपने प्यार के लिए लड़ना भी चाहता है। उनकी केमिस्ट्री शेफाली शाह के साथ बहुत प्राकृतिक और देखने लायक है।
- सहायक कलाकार (सुप्रिया पाठक, विनीत कुमार, आदि): सहायक कलाकारों ने भी फिल्म को मजबूती दी है। सुप्रिया पाठक एक typical परेशान मां की भूमिका में बिल्कुल सही लगती हैं। विनीत कुमार के किरदार ने कहानी में कॉमेडी और ड्रामा दोनों ही जोड़ा है।
निर्देशन और पटकथा
निर्देशक समीर सक्सेना ने एक साधारण सी दिखने वाली कहानी को बहुत ही प्यार और विस्तार से पेश किया है। फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है इसकी पटकथा। संवाद बहुत ही जीवंत और मजेदार हैं। छोटे-छोटे दृश्यों के जरिए परिवार के रिश्तों की बारीकियों को दिखाया गया है। फिल्म की गति थोड़ी धीमी जरूर है, लेकिन यह धीमापन आपको कस्बाई जीवन की शांति और उसकी समस्याओं से रूबरू कराता है।
कॉमेडी और भावनाएं
यह फिल्म स्लैपस्टिक कॉमेडी नहीं है। यहां कॉमेडी रिलेटेबल सिचुएशंस और शार्प डायलॉग्स से आती है। परिवार के झगड़े, पड़ोसियों की टांग-खिंचाई, और रिश्तों की गलतफहमियां हंसी पैदा करती हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि कॉमेडी और इमोशन के बीच एक बेहतरीन संतुलन बनाया गया है। एक मिनट आप हंस रहे होते हैं, तो दूसरे मिनट कोई डायलॉग आपको भावुक कर देता है।
तकनीकी पहलू
- सिनेमैटोग्राफी: कैमरा वर्क ने कस्बे की सादगी और रंगीनियत को बहुत खूबसूरती से कैद किया है। घर के अंदरूनी दृश्य बहुत रियलिस्टिक लगते हैं।
- संगीत: फिल्म के गाने स्थितियों से अच्छी तरह जुड़े हुए हैं। बैकग्राउंड म्यूजिक का इस्तेमाल भावनाओं को बढ़ाने के लिए किया गया है।
कमजोर पक्ष
हर फिल्म कुछ कमजोरियां लेकर आती है। "समोसा एंड संस" की कहानी बहुत ज्यादा नई या अनोखी नहीं है। हमने ऐसी पारिवारिक कॉमेडी-ड्रामा पहले भी देखे हैं। फिल्म की दूसरी हाफ में कहानी थोड़ी पहचानने लायक रूटीन पर चलती है। कुछ किरदारों को और गहराई से दिखाया जा सकता था।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या यह फिल्म पूरे परिवार के साथ देखने लायक है?
हाँ, बिल्कुल! "समोसा एंड संस" एक क्लीन फैमिली एंटरटेनमेंट है जिसे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी देख सकते हैं। फिल्म में कोई अश्लील दृश्य या अपमानजनक भाषा नहीं है।
फिल्म की लंबाई कितनी है?
फिल्म की कुल अवधि लगभग 2 घंटे 15 मिनट है। हालांकि कहानी में इतने twists और turns हैं कि समय का एहसास नहीं होता।
क्या फिल्म में कोई सामाजिक संदेश है?
हाँ, फिल्म पारिवारिक एकता, पुरानी दुश्मनियों को भुलाने और नई पीढ़ी की आकांक्षाओं को समझने का सुंदर संदेश देती है।
निष्कर्ष: किसे देखनी चाहिए?
"समोसा एंड संस" एक ऐसी गर्मागर्म फिल्म है जो आपके दिल को छू जाएगी। यह फिल्म उन लोगों के लिए एकदम सही है जो:
- पारिवारिक कॉमेडी-ड्रामा पसंद करते हैं।
- बिना किसी भारी-भरकम एक्शन के, रिलैक्स करके कोई हल्की-फुल्की फिल्म देखना चाहते हैं।
- बेहतरीन अभिनय की कद्र करते हैं।
- छोटे-शहर की जिंदगी और उनकी समस्याओं से रिलेट कर सकते हैं।
अगर आप एकदम नई और थ्रिलिंग कहानी की तलाश में हैं, तो यह फिल्म आपके लिए नहीं हो सकती। लेकिन अगर आप एक अच्छी, हार्दिक और स्वादिष्ट फिल्म का आनंद लेना चाहते हैं, तो "समोसा एंड संस" आपके लिए एक बढ़िया विकल्प है। यह फिल्म आपको हंसाएगी, भावुक करेगी और अंत में एक अच्छा अहसास देकर जाएगी।